Monday, October 18, 2010

मुफलिसी

हर मिटते हुए लम्हे के लिए
एक ख्वाब की खवाहिश हैं
वो हर पल
मुस्कुरा के तो बिता दोगे
पर कहो
की मेरे ख्वाब कैसे मिटाओगे

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