दद्दू
कुछ भी नहीं भूला हूँ...तुम्हे भी और खुद को भी सब कुछ याद हैं बिलकुल वैसे ही जैसे की वो था कभी..
Friday, March 11, 2011
शांत मौत..
लेकिन यह मानव जीवन है:
युद्ध, कर्म
निराशा, चिंता,
कल्पना, संघर्ष,
इन सबसे दूर है और समीप भी ,
सभी मानव
अपने आप में यह अच्छा है
कि वे अभी भी हवा में
सूक्ष्म भोजन कर रहे हैं
और हमें अस्तित्व लग रहा है
शायद दिखाने के लिए कि
शांत मौत कैसे हो सकती है.
Tuesday, March 1, 2011
जिंदगी या सिगरेट...
कुछ समझ ना आया
किसे चाहू
ये जिंदगी या सिगरेट
हर पल में सिमटती हुई
हर सांस पर
ख़त्म सी होती हुई
दोनों..
छोड़ जाती हैं
कुछ यादें और ढेर सा गहरा धुआं
नजर आती हैं
बस भूली और
धुंधली सी शक्ले...
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)