Tuesday, October 12, 2010

कोई नहीं...

क्या बात हैं जो कभी कही मैंने और

वह अब तक न सुन पाई तुम ......

कुछ हवाओ की हलकी सी खुशबु में घुले मेरे शब्द
...
अब भी तुम्हारे दिल में कोई जगह ना बना पाए

वक़्त की स्याही भी अब धुधली सी हो गयी और

उनसे लिखे मेरे खातो को कभी पढ़ ना सकी

मेरे तमाम खयालो में अब भी तुम ही हो......

कोई और नहीं ........कोई और नहीं...........

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