Sunday, October 31, 2010

शब्द..

मेरे सारे शब्द कहीं खो गए
उन्हें तलाश रहा हूँ..
एक पोटली में बाँधा था उन्हें..
ये सोचकर की शायद सब
मेरे पास ही रहेंगे..
वो पोटली अब भी हैं
पर मेरे शब्द बिखर गए
कभी मिले तो दे जाना
पर मैं तो अपना भी पता
नहीं जानता हूँ.

क्योकि मेरे सारे शब्द
कहीं खो गए हैं...

Monday, October 18, 2010

मुफलिसी

हर मिटते हुए लम्हे के लिए
एक ख्वाब की खवाहिश हैं
वो हर पल
मुस्कुरा के तो बिता दोगे
पर कहो
की मेरे ख्वाब कैसे मिटाओगे

Tuesday, October 12, 2010

कोई नहीं...

क्या बात हैं जो कभी कही मैंने और

वह अब तक न सुन पाई तुम ......

कुछ हवाओ की हलकी सी खुशबु में घुले मेरे शब्द
...
अब भी तुम्हारे दिल में कोई जगह ना बना पाए

वक़्त की स्याही भी अब धुधली सी हो गयी और

उनसे लिखे मेरे खातो को कभी पढ़ ना सकी

मेरे तमाम खयालो में अब भी तुम ही हो......

कोई और नहीं ........कोई और नहीं...........

Monday, September 27, 2010


कुछ देर से बीता ये बरसता मौसम....
अब आखों में तू साफ़ नजर आती हैं
तलाशता हूँ सूखे पत्तो पर तुम्हारी
उँगलियों की निशानी
मैं सच कहू....ये आखें अब भी कभी
चुपचाप बरस जाती हैं.