कुछ तो होगा जो खोया हैं मैने.....
शायद वही दिन .....
जिसे मैं भूल आया उन्ही गलियों में
जब वो कोयल की कूक
और हवा की सरसराहट
कानो में संगीत घोल देती थी
मैं अब भी बेहोशी में वो दिन
तलाशता हूँ
होश में हू तो तुम्हे ढूढ़ता हूँ
अब शायद कुछ भी नही हैं
ना मैं
ना तुम और ना कोयल की कूक
और वो दिन
कुछ भी तो नही बचा मेरे पास
सब तो खो गया कहीं....
कुछ भी नहीं भूला हूँ...तुम्हे भी और खुद को भी सब कुछ याद हैं बिलकुल वैसे ही जैसे की वो था कभी..
Saturday, January 29, 2011
Thursday, January 20, 2011
नया बहाना..
कुछ भी नहीं भूला हूँ...
तुम्हे भी और
खुद को भी
सब कुछ याद हैं
बिलकुल वैसे ही
जैसे की वो था कभी..
क्या वाकई में कुछ भूलतें हैं
बस एक बहाना बनाते हैं
जैसे की नींद आने का
फिर आखें मुद्ने का
और सो जाने का ..
फिर कहते हैं की
भूल गया हूँ
सब कुछ
खुद को भी
और तुम को भी
ना जाने कैसे कैसे बहाने
सिर्फ भूलने को...
या याद करने का एक
नया बहाना..
Wednesday, January 19, 2011
बारिश....
Monday, January 17, 2011
यही जिंदगी
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