Saturday, January 29, 2011

कुछ तो ..

कुछ तो होगा जो खोया हैं मैने.....

शायद वही दिन .....
जिसे मैं भूल आया उन्ही गलियों में
जब वो कोयल की कूक
और हवा की सरसराहट
कानो में संगीत घोल देती थी
मैं अब भी बेहोशी में वो दिन
तलाशता हूँ
होश में हू तो तुम्हे ढूढ़ता हूँ
अब शायद कुछ भी नही हैं
ना मैं
ना तुम और ना कोयल की कूक
और वो दिन
कुछ भी तो नही बचा मेरे पास

सब तो खो गया कहीं....

Thursday, January 20, 2011

नया बहाना..


कुछ भी नहीं भूला हूँ...
तुम्हे भी और
खुद को भी
सब कुछ याद हैं
बिलकुल वैसे ही
जैसे की वो था कभी..
क्या वाकई में कुछ भूलतें हैं
बस एक बहाना बनाते हैं
जैसे की नींद आने का
फिर आखें मुद्ने का
और सो जाने का ..
फिर कहते हैं की
भूल गया हूँ
सब कुछ
खुद को भी
और तुम को भी
ना जाने कैसे कैसे बहाने
सिर्फ भूलने को...
या याद करने का एक
नया बहाना..

Wednesday, January 19, 2011

बारिश....


बारिश....
शुरू हुई
जैसे आखें नम सी
दिल भी कुछ पसीजा सा
फिर
ख्याल
कई रंग के
बेतरतीब से बहते हुए
बारिश के पानी में
भारी से ख्याल
डूब गए
कुछ बह गए
फिर दिल हल्का हुआ
आखें थम गयी
बारिश थम गयी.....
सच में
बारिश थम गयी.....

Monday, January 17, 2011

यही जिंदगी







पत्तियों को देखा
कभी शाखों पर
उगते हुए......

फिर देखा उनको
हरे रंग में
सज़तें हुए.......

पलक के बाद देखा
पीले रूप में
जर्द हुए......

फिर आज उनको देखा
ज़मीन पर
टूटकर दरबदर
बिखरते हुए.......

देखा और समझा
शायद..... यही जिंदगी