Tuesday, March 1, 2011

जिंदगी या सिगरेट...

कुछ समझ ना आया
किसे चाहू
ये जिंदगी या सिगरेट
हर पल में सिमटती हुई
हर सांस पर
ख़त्म सी होती हुई
दोनों..
छोड़ जाती हैं
कुछ यादें और ढेर सा गहरा धुआं
नजर आती हैं
बस भूली और
धुंधली सी शक्ले...

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