कुछ तो होगा जो खोया हैं मैने.....
शायद वही दिन .....
जिसे मैं भूल आया उन्ही गलियों में
जब वो कोयल की कूक
और हवा की सरसराहट
कानो में संगीत घोल देती थी
मैं अब भी बेहोशी में वो दिन
तलाशता हूँ
होश में हू तो तुम्हे ढूढ़ता हूँ
अब शायद कुछ भी नही हैं
ना मैं
ना तुम और ना कोयल की कूक
और वो दिन
कुछ भी तो नही बचा मेरे पास
सब तो खो गया कहीं....
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