Monday, January 17, 2011

यही जिंदगी







पत्तियों को देखा
कभी शाखों पर
उगते हुए......

फिर देखा उनको
हरे रंग में
सज़तें हुए.......

पलक के बाद देखा
पीले रूप में
जर्द हुए......

फिर आज उनको देखा
ज़मीन पर
टूटकर दरबदर
बिखरते हुए.......

देखा और समझा
शायद..... यही जिंदगी

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